Thursday, November 21, 2013

मुक्तक : 381 - हर एक एक से एक


हर एक एक से एक बढ़कर लगे है ।।
नज़र को हसीं सबका मंज़र लगे है ।।
मोहब्बत की दुनिया बसाने को लेकिन ,
नहीं कोई दिल क़ाबिले घर लगे है ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...