Monday, November 18, 2013

मुक्तक : 378 - मैं जैसा था पड़ा


मैं जैसा था पड़ा वैसा ही रहा आता पड़ा ।।
घिसटता रहता ना चल सकता न हो पाता खड़ा ।।
करिश्मा ये मेरे एहसासे-कमतरी ने किया ,
जो बन पाया मैं छोटे से बड़े बड़ों से बड़ा ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...