Thursday, November 28, 2013

मुक्तक : 390 - सात रंग न डाले


सात रंग तज रंग फ़क़त डाला काला ।।
जिसमें आटा कम भरपूर नमक डाला ।।
वो मेरा कैसेअपना हो सकता है ,
मेरी ऐसी क़िस्मत को लिखने वाला ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

1 comment:

Unknown said...

सुन्दर अभिव्यक्ति

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...