Friday, November 15, 2013

मुक्तक : 373 - न समीप हूँ तेरे मैं न तू


न समीप हूँ तेरे मैं न तू सशरीर यों मेरे पास है ॥
इस बात का पर पूर्णतः मुझको अटल विश्वास है –
अव्यक्त है वाणी से जो व्यवहार से परिलक्षित हो –
तू न माने किन्तु मेरा तेरे मन में स्थायी निवास है ।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...