Tuesday, November 26, 2013

मुक्तक : 388 - वो चमकदार वो रोशन


वो चमकदार वो रोशन क्यों जुप ही रहता है ?
सामने क्यों नहीं आता है लुप ही रहता है ?
बात-बेबात-बात करना जिसकी आदत थी ,
क्या हुआ हादसा कि अब वो चुप ही रहता है ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...