उसके इश्क़ से बचना
चाहे पर हो-हो जाये ।।
दिल उसके पुरलुत्फ़
ख़यालों में खो-खो जाये ।।
पहले ही कितने सर रो-रो बोझ उठाये है ?
तिस पर उसकी वज़्नी-यादें भी ढो-ढो जाये ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
1 comment:
बहुत बहुत धन्यवाद ! मयंक जी !
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