Thursday, January 31, 2013

मुक्तक : 15 - तमगे तो हमें


तमगे तो हमे एक नहीं चार मिले हैं ।।
इक बार नहीं चार चार बार मिले हैं ।।
चुन चुन के ऊँची-ऊँची डिग्रियों के वास्ते ,
अब तक मगर न कोई रोज़गार मिले हैं ।।

-डॉ. हीरालाल प्रजापति


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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...