Wednesday, January 23, 2013

मुक्तक : 4 - दुनिया का अनोखा ही


दुनिया का अनोखा कारोबार हो रहा ।।
भीख माँँगना भी रोज़गार हो रहा ।।
इस क़दर मुनाफ़े का ये पेशा है कि अब ,
याँ पढ़े-लिखों का भी शुमार हो रहा ।। 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति




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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...