Saturday, January 26, 2013

मुक्तक : 5 - अब यास से



अब यास से है अपने , लबरेज़ दिल का आलम ।।
उम्मीद की बिना पर , अब तक रहे थे कायम ।।
जब हर तरफ़ मनाही , है चप्पा-चप्पा नफ़्रत ,
बतलाओ किस बिना पे , ज़िंदा रहें भला हम ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति



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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...