जूलियट सी , हीर सी , लैला के जैसी प्रेमिका ।।
इस ज़माने में कहाँ
पाओगे ऎसी प्रेमिका ।।1।।
क़समोंं वादों पर यक़ीं यूँ ही नहीं करती कभी ,
है चतुर, चालाक, ज्ञानी आजकल की प्रेमिका ।।2।।
बच नहीं सकता है
अब आशिक़ बहाने से किसी ,
जिससे करती प्यार
करती उससे शादी प्रेमिका ।।3।।
बेवफ़ा आशिक़ को
अब माफ़ी न देती दोस्तों ,
अब सबक सिखला के
बदला खूब लेती प्रेमिका ।।4।।
एक आशिक़ छोड़ दे
तो ख़ुदकुशी करती नहीं ,
दूसरे से इश्क़ को
तैयार रहती प्रेमिका ।।5।।
पहले आशिक़ कि नज़र
से देखती थी ये जहाँ ,
अब तो चील और गिद्ध
जैसी आँख रखती प्रेमिका ।।6।।
इश्क़ में जिस्मों
के रिश्तों को भी देती अहमियत ,
अब न दक़्यानूस , शर्मीली न छुई-मुई प्रेमिका ।।7।।
अब तो मुँँह बोले
बहन-भाई पे शक़ लाज़िम हुआ ,
कितने ही तफ़्तीश में निकले हैं प्रेमी प्रेमिका ।।8।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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