Monday, January 28, 2013

मुक्तक : 11 - फ़र्ज़



फ़र्ज़ , क़ायदा-ओ-क़ानून निभाने में उस्ताद हूँ मैं ।।
बस उसूलों की ज़ंजीरों से , जकड़ा इक आज़ाद हूँ मैं ।।
ख़ूब आज़माइश झुलसाकर , ठोंका-पीटी कर करलो ,
मोम नाँह हूँ आला दर्ज़े , का लोहा-फ़ौलाद हूँ मैं ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...