Monday, January 21, 2013

मुक्तक : 2 - जिसका रब चाहे


जिसका रब चाहे अगर , धड़ का बना देना सर ।।
वो अतल से भी उबर , आता है चलकर ऊपर ।।
गर न मर्ज़ी हो ख़ुदा , की तो परों के होते ,
तैर मछली न सके , उड़ न सके खग फर-फर ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति



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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...