मस्त हो आज तो ख़ुम भर , शराब पीना है ।।
जाके मैख़ाने नहीं घर , शराब पीना है ।।1।।
हमको बोतल ही उठाकर , शराब पीना है ।।2।।
हर किसी ग़म की दवा जाम ही अगर है तो ,
दुनिया कहती है बुरा ही शराबनोशी को ,
इसलिए छुप के सही पर , शराब पीना है ।।3।।
जौ की , अंगूर की , महुए की , कच्ची या पक्की ,
आज़माइश के लिए हर , शराब पीना है ।।4।।
फ़ाख़्ता होश न फिर लौट के चले आएँ ,
इसलिए मुझको बराबर , शराब पीना है ।।5।।
जाम का दौर चले शाम से जो शब भर भी ,
मुँह सुबह होते ही धोकर , शराब पीना है ।।6।।
लोग ले नाम ख़ुदा-रब का ज़ह्र पी जाते ,
हमको अल्लाह-ओ-अक़बर , शराब पीना है ।।7।।
इक ग़ुज़ारिश है अगर आपकी इजाज़त हो ,
आपके साथ बिरादर , शराब पीना है ।।8।।
क्यूँ पियाले को लगाते हो मुँह से चम्मच लो ,
तुमको मानिंदे दवा गर , शराब पीना है ।।9।।
आज के बाद न होठों से फिर लगाऊँगा ,
आज सिर पर ये क़सम धर , शराब पीना है ।।10।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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