Tuesday, January 15, 2013

7. ग़ज़ल : सब तो सामान हैं..................


सब तो सामान हैं पिताजी के ।।
कितने एहसान हैं पिताजी के ।।1।।
हमपे टी-शर्ट शानदार मगर ,
छन्ने बनियान हैं पिताजी के ।।2।।
चाहते  हैं जो वो बनूँ कैसे,
खूब अरमान हैं पिताजी के ।।3।।
चुप्पियाँ भी हमारी सुन लेते ,
दिल में दो कान हैं पिताजी के ।।4।।
मर्मबेधी अचूक नुस्खों में ,
मौन के बान हैं पिताजी के ।।5।।
गाय को रोटी,चींटी को आटा ,
ऐसे कुछ दान हैं पिताजी के ।।6।।
विष्णु ब्रह्मा , महेश ; देव नहीं !
तीन भगवान हैं पिताजी के ।।7।।
-डॉ.हीरालाल प्रजापति 

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