कभी उनसे से ज़रा मिल जाएँ पल दो पल निगाहें ॥
हो बेक़ाबू मेरा दिल घंटों - घंटों भरता आहें ॥
क़दम उन तक पहुँचने को बदल जाएँ परों में ,
सटा लेती हैं सीने से उन्हें ख़्वाबों में बाहें ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
3 comments:
धन्यवाद ! आशा जोगलेकर जी !
वाह...बहुत सुंदर...
धन्यवाद ! रश्मि शर्मा जी !
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