Monday, July 14, 2014

मुक्तक : 578 - मारा नहीं था हमको


मारा नहीं था हमको पकड़कर किसी ने आह ॥
अपने ही हाथों की थी अपनी ज़िंदगी तबाह ॥
अपनों ने ख़ूब हमको पकड़कर रखा था रोक ,
हम ख़ुद ही छूट-भाग चले थे ख़राब राह ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...