Monday, July 21, 2014

मुक्तक : 587 - दिन को कह दे रात


दिन को कह दे रात कोई रात लगती है ॥
सूखे को बरसात तो बरसात लगती है ॥
हमको जो सुनना अगर कह दे वही कोई ,
झूठ भी हो वो तो सच्ची बात लगती है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...