याँ मुफ़्त वाँ नक़द कहीं
बग़ैर ब्याज उधार ।।
महँगी कहीं कहीं पे सस्ती
चीज़ें बेशुमार ।।
मुँहमाँगी क़ीमतें ले हाथ में फिरे हैं रोज़ ,
मिलता नहीं कहीं जहाँ में प्यार का बज़ार ।।
-डॉ. हीरालाल
प्रजापति
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