Wednesday, July 16, 2014

मुक्तक : 579 - बहुत से लोग पेंगें


बहुत से लोग पेंगें मारने लगते हैं झूलों में ।।
कुछ इक जाकर उछलने-कूदने लगते हैं फूलों में ।।
समंदर हम से ग़म के बूँद भी पाकर ख़ुशी की सच ,
लगाने लोट लगते हैं गधों की तरह धूलों में ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...