Friday, July 11, 2014

मुक्तक :574 - इस पर हँसूँ मैं या चिढ़ूँ


इस पर हँसूँ मैं या चिढ़ूँ कि फिर करूँ इताब ?
उम्मी को दे रहे हो तोहफे में जो किताब !!
डरता है मौत से वो जैसे बच्चे भूत देख ,
जाँबाज़ का उसे ही तुम नवाज़ते ख़िताब !!
[ इताब=क्रोध,ग़ुस्सा /उम्मी=निरक्षर,अनपढ़ ]
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...