Tuesday, July 1, 2014

मुक्तक : 562 - कभी उनसे से ज़रा



कभी उनसे से ज़रा मिल जाएँ पल दो पल निगाहें ॥
हो बेक़ाबू मेरा दिल घंटों - घंटों भरता आहें ॥
क़दम उन तक पहुँचने को बदल जाएँ परों में ,
सटा लेती हैं सीने से उन्हें ख़्वाबों में बाहें ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

3 comments:

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! आशा जोगलेकर जी !

रश्मि शर्मा said...

वाह...बहुत सुंदर...

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! रश्मि शर्मा जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...