Monday, July 7, 2014

मुक्तक : 568 - अटपटी सी बात होने


अटपटी सी बात होने पर हँसो ॥
दुश्मनों का चैन खोने पर हँसो ॥
हँस लो रद्दी चुट्कुले सुनके ठठा ,
मत किसी बुलबुल के रोने पर हँसो ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...