Saturday, July 19, 2014

मुक्तक : 583 - हे शिव जो जग में है



हे शिव जो जग में है अशिव तुरत निवार दो ।।
परिव्याप्त मलिन तत्व गंग से निखार दो ।।
स्वर्गिक बना दो पूर्वकाल सी धरा पुनः ,
या खोल अपना तीसरा नयन निहार दो ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...