Sunday, July 13, 2014

मुक्तक : 576 - सोने से ज़्यादा उनकी


सोने से ज़्यादा उनकी नज़र में खरा रहूँ ॥
पीला कभी पड़ूँ न हरा ही हरा रहूँ ॥
मैं क्या करूँ कि जेह्न-ओ-दिल में दुश्मनों के भी ,
कलसे में गंगा-जल सा लबालब भरा रहूँ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...