घूँट दो घूँट भरते भरते
फिर पूरा भर भर रिकाब पीने लगे ॥
आबे ज़मज़म के पीने वाले
हम धीरे धीरे शराब पीने लगे ॥
दर्दो तक्लीफ़ के पियक्कड़
थे पर तेरा हिज्रे ग़म न झेल सके ,
पहले पीते थे बाँधकर हद
को बाद को बेहिसाब पीने लगे ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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