Sunday, July 20, 2014

मुक्तक : 584 - हैरतो ताज्जुब ! गजब


हैरतो ताज्जुब ! गजब दोनों की क़िस्मत है ।।
वरना जादू या किरिश्मा या करामत है ।।
नोक पे काँटों की फूला झूमे गुब्बारा ,
पत्थरी बारिश में आईना सलामत है ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...