Thursday, July 31, 2014

मुक्तक : 593 - यूँ ही सी नहीं कोई


यूँ ही सी नहीं कोई मुसीबत से सामना ॥
करता हूँ नई रोज़ अज़ीयत से सामना ॥
यूँ भी न समझ दर्द उठाता हूँ हो खफ़ा ,
करता हूँ तह-ए-दिल से , बीअत से सामना ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...