Friday, July 11, 2014

मुक्तक : 575 - सब चने लोहे के


सब चने लोहे के केले से चबा लूँगा ॥
उनके आगे अपने दर्दो-ग़म दबा लूँगा ॥
ज़ोर देकर गर वो मेरा हाल पूछेंगे ,
बेतरह हँस-हँस के आँखें डबडबा लूँगा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...