Sunday, July 20, 2014

मुक्तक : 585 - मुझे तो तेरी तबीयत



( चित्र Google Search से साभार अवतरित )

मुझे तो तेरी तबीअत ख़राब लगती है ।।
मेरी दवा है जो तुझको शराब लगती है ।।
हलक़ उतरते ही जब ये दिमाग़ पर चढ़ती ,
हयाते ख़ार भी गुल--गुलाब लगती है ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...