Tuesday, July 8, 2014

मुक्तक : 569 - देख कर सिर्फ़ सफ़ेदी


देख कर सिर्फ़ सफ़ेदी को चून कहना ग़लत ।।
लाल रंग तकते ही स्याही को ख़ून कहना ग़लत ।।
अश्क़ खारे हों हो खारा तो पसीना भी मगर ,
स्वाद के दम पे उन्हें नोन-नून कहना ग़लत ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...