Friday, July 18, 2014

मुक्तक : 580 - आर्ज़ू रखता नहीं


आर्ज़ू रखता नहीं कुछ ख़्वाब भी बुनता नहीं ।।
बाग़ के काँटे निकालूँ गुल-कली चुनता नहीं ।।
*ख़ुशमनिश हूँ मैं *मुरीदे-मर्सिया *हैरानगी ,
*शादमानी में भी *नग्माख़ुशी सुनता नहीं ।।
( *ख़ुशमनिश=प्रसन्नचित्त व्यक्ति  *मुरीदे-मर्सिया=शोकगीत प्रेमी *हैरानगी=आश्चर्य *शादमानी=प्रसन्नता का अवसर  *नग्माख़ुशी=हर्षगीत )
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...