जी करता है अपने सर
से पटक गिराऊँ मैं !
अपने हलकेपन का कब
तक बोझ उठाऊँ मैं ?
ख़ूब रहा गुमनाम कभी
बदनाम भी बहुत हुआ ,
अब सोचूँ कुछ यादगार
कर नाम कमाऊँ मैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
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SUNDAR ; BHAVPURNA
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