Sunday, February 2, 2014

मुक्तक : 464 - उसको आँखों को भूल


उसको आँखों को भूल याद न होने दूँगा ॥
दिल में इक लम्हा भी आबाद न होने दूँगा ॥
चाहना उसको यानी उसको लुत्फ़ पहुँचाना ,
अपने दुश्मन को कभी शाद न होने दूँगा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

बहुत उम्दा प्रस्तुति......बहुत बहुत बधाई....

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Prasanna Badan Chaturvedi जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...