Tuesday, February 18, 2014

मुक्तक : 484 - नहीं कुछ मुफ़्त में


नहीं कुछ मुफ़्त में देता वो पूरा दाम लेता है ॥
वगरना उसके एवज में वो दूना काम लेता है ॥
नहीं वो हमसफ़र मेरा न मेरा रहनुमा लेकिन ,
फिसलने जब भी लगता हूँ वो आकर थाम लेता है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...