मैं छोटी-छोटी सुइयों
वो लंबे तीरों का ॥
मैं सौदागर हूँ छुरियों
का वो शमशीरों का ॥
मैं सिर पर रख बेचूँ
लोहा वो दूकान सजा ,
वो भी मुझसा ही है
फ़र्क है बस तक़्दीरों का ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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