Sunday, February 16, 2014

मुक्तक : 482 - मैं छोटी-छोटी सुइयों


मैं छोटी-छोटी सुइयों वो लंबे तीरों का ॥
मैं सौदागर हूँ छुरियों का वो शमशीरों का ॥
मैं सिर पर रख बेचूँ लोहा वो दूकान सजा ,
वो भी मुझसा ही है फ़र्क है बस तक़्दीरों का ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...