Monday, February 10, 2014

मुक्तक : 473 - एहसास दे शरबत



एहसास दे शरबत जो पुरानी शराब सा ॥
सच सामने हो फिर भी हो महसूस ख़्वाब सा ॥
फ़ौरन निगाह का जनाब इलाज कीजिए ,
अच्छा नहीं चराग़ दिखना आफ़ताब सा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...