Friday, February 7, 2014

मुक्तक : 470 - जी करता है अपने सर से


जी करता है अपने सर से पटक गिराऊँ मैं !
अपने हलकेपन का कब तक बोझ उठाऊँ मैं ?
ख़ूब रहा गुमनाम कभी बदनाम भी बहुत हुआ ,
अब सोचूँ कुछ यादगार कर नाम कमाऊँ मैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...