Sunday, February 16, 2014

मुक्तक : 480 - सारी दुनिया से अलग


सारी दुनिया से अलग भाग-भाग रहता था ।।
खोया यादों में उसकी जाग-जाग रहता था ।।
मैं भी हँसता था कभी जब वो मुझपे आशिक़ थे ,
दिल ये मेरा भी सब्ज़ , बाग़बाग़ रहता था ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...