Tuesday, February 11, 2014

मुक्तक : 474 - दस्ती - रूमाल ठीक


दस्ती-रूमाल ठीक-ठीक न धोना आया ॥
पतला सा धागा सूई में न पिरोना आया ॥
तुमने उसको पहाड़ टालने का काम दिया ,
जिसको टीला तो क्या ढेला भी न ढोना आया !
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...