तुझ यादों में
रह-रह ,रुक-रुक ,
हँस-हँस रोने वाले हैं ॥
शब-शब ,पल-पल
करवट ले-ले
जग-जग सोने वाले हैं ॥
हममें कितनी
दिलचस्पी तू
जाने रखती है पर हम ,
तुझको अपनी
लैला माने
मज़्नूँ होने वाले हैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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