Sunday, January 26, 2014

मुक्तक : 457 - और भी ज़्यादा निगाहों


और भी ज़्यादा निगाहों में लगो छाने ॥
दिल मचल उठता है तब तो और भी आने ॥
जब भी ये लगता है लगने मुझको शिद्दत से ,
अजनबी हो तुम , पराये तुम , हो बेगाने ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...