Sunday, January 5, 2014

मुक्तक : 437 - मुझको रोज़ अपना


मुझको रोज़ अपना दीदार दिया करना तुम ॥
एकटक मेरा भी दीदार किया करना तुम ॥
मैं तुम्हारे बिन जब-जब ज़िंदगी तबाह करूँ ,
ख़ुद को कम-अज-कम तब-तब मार लिया करना तुम ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...