Sunday, January 19, 2014

113 : ग़ज़ल - सूर्य सा उनको जगमगाने दो


सूर्य सा उनको जगमगाने दो ।।
दीप सा हमको टिमटिमाने दो ।।1।।
सूरत अपनी बिगड़ गयी यारों ,
आइने घर के सब हटाने दो ।।2।।
ज़ह्र यूँ ही तो हम न खाएँगे ,
मरने के कुछ न कुछ बहाने दो ।।3।।
आज बरबाद हो गया दुश्मन ,
जश्न जमकर बड़ा मनाने दो ।।4।।
दर्दे दिल कोई फिर उभरता है ,
हमको जी भर के रोने गाने दो ।।5।।
हमको रहना नहीं है जन्नत में,
आपके दिल में घर बनाने दो ।।6।।
ख़ून अपना सफ़ेद है शायद ,
लाल करने इसे बहाने दो ।।7।।
वो जो सोये हैं खोलकर आँखें ,
उनको झकझोर कर जगाने दो ।।8।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...