सूर्य सा उनको जगमगाने
दो ।।
दीप सा हमको टिमटिमाने
दो ।।1।।
सूरत अपनी बिगड़ गयी यारों
,
आइने घर के सब हटाने दो ।।2।।
ज़ह्र यूँ ही तो हम न खाएँगे
,
मरने के कुछ न कुछ बहाने
दो ।।3।।
आज बरबाद हो गया दुश्मन
,
जश्न जमकर बड़ा मनाने दो ।।4।।
दर्दे दिल कोई फिर उभरता
है ,
हमको जी भर के रोने गाने
दो ।।5।।
हमको रहना नहीं है जन्नत
में,
आपके दिल में घर बनाने
दो ।।6।।
ख़ून अपना सफ़ेद है शायद ,
लाल करने इसे बहाने
दो ।।7।।
वो जो सोये हैं खोलकर
आँखें ,
उनको झकझोर कर जगाने दो ।।8।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
5 comments:
धन्यवाद ! मयंक जी !
वाह, बहुत सुन्दर..
बहुत सुंदर ...
धन्यवाद ! Kaushal Lal जी !
धन्यवाद ! Mukesh Kumar Sinha जी !
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