आबे
ज़मज़म समझ के जह्र पिये जाता हूँ ।।
बस
ख़ुदा तेरी ही दम पे मैं जिये जाता हूँ ।।
सख़्त से सख़्त है दुश्वार ज़िंदगी मेरी ,
नाम
रट-रट के तेरा सह्ल किये जाता हूँ ।।
( सह्ल
= सरल , सुगम , आसान )
-डॉ.
हीरालाल प्रजापति
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