Wednesday, January 15, 2014

मुक्तक : 445 - क्या फ़ायदा कि चुप हो



क्या फ़ायदा कि चुप हो गज भर ज़बान रखकर ?
सुनते नहीं अगर तुम हाथी से कान रखकर ॥
आँखें हैं पर न देखो , सिर धर के गर न सोचो !
फिर तुम तो चलता फिरता मुर्दा हो जान रखकर ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Unknown said...

aaaaaaahaa..........very niccc sir ji

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! sk dubey जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...