Tuesday, January 21, 2014

मुक्तक : 452 - रहूँ प्यासा गुलू में


रहूँ प्यासा गुलू में चाहे क़तरा आब ना जाये ।।
तुम्हारे इश्क़ में जलने की मेरी ताब ना जाये ।।
नहीं क़ाबिल मैं हरगिज़ भी तुम्हारे पर दुआ इतनी ,
तुम्हें पाने का आँखों से कभी भी ख़्वाब ना जाये ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...