Wednesday, January 22, 2014

मुक्तक : 453 - सितमगर की वो कब


सितमगर की वो कब आकर के करता है गिरफ़्तारी ?
कहे से और उलटा उसकी करता है तरफ़दारी ।।
वो थानेदार बस चेहरे से है ईमान का पुतला ,
निभाकर फ़र्ज़ ना अपना यों करता है सितमगारी ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...