Saturday, January 25, 2014

मुक्तक : 456 - हिमाक़त ऐसी तनहाई में


हिमाक़त ऐसी तनहाई में बारंबार कर बैठो ।।
मेरा तब सिर से लेकर पैर तक दीदार कर बैठो ।।
कभी मैं हुस्न जब भी बेख़बर सो जाऊँ बेपर्दा ,
तुम आकर इश्क़ फ़ौरन बेइजाज़त प्यार कर बैठो ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

4 comments:

Unknown said...

good one.......sir ji

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! sk dubey जी !

Unknown said...

jai ho jai ho................

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! kailash Vishwakarma जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...