तवील बेशक़ न लेक कुछ
तो ज़रा-ज़रा , कम ही कम सुनाने ॥
किये जो मुझ पर जहाँ
ने तारी वो सारे गिन-गिन सितम सुनाने ॥
हर एक दर्दआशना जो
सुन-सुन न अश्क़ ढा दे अगर तो कहना ,
बुला कभी मुझको अपनी
महफ़िल में मेरी रुदाद-ए-ग़म सुनाने ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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