Thursday, August 1, 2013

मुक्तक : 296 (A) - तूने जो किए मुझपे


तूने किए जो मुझपे उन एहसानो जब्र में ॥
मेरी अज़ीम बेक़रारियों में सब्र में ॥
कुछ तो है तेरे मेरे इश्क़ में कि बेवफ़ा ,
मरकर भी है तू ज़िंदा मेरे दिल की क़ब्र में ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...